"श्रीकृष्ण जन्म कथा: मथुरा से गोकुल तक की अद्भुत यात्रा" "कृष्ण जन्म", "गोकुल में कृष्ण", "जन्माष्टमी महत्व"
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म: एक दिव्य लीला की शुरुआत
भूमिका: कृष्ण जन्म की अद्भुत कथा
भारतवर्ष की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र घटना है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह ब्लॉग आपको श्रीकृष्ण के जन्म की कथा, उसका महत्व, और आध्यात्मिक संदेश से परिचित कराएगा।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कब और कहां हुआ?
श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा नगरी में हुआ था। यह तिथि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात के समय की मानी जाती है। इनके माता-पिता का नाम देवकी और वसुदेव था।
कृष्ण जन्म की पृष्ठभूमि: कंस का आतंक
मथुरा का राजा कंस, जो श्रीकृष्ण का मामा था, एक अत्याचारी शासक था।
जब एक आकाशवाणी ने भविष्यवाणी की कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी, तब कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनके छह बच्चों की हत्या कर दी।
कृष्ण जन्म की चमत्कारी घटना
आठवीं संतान के रूप में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस समय मध्यरात्रि थी।
उसी समय कारागार के द्वार अपने आप खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए, और वसुदेव को योगमाया की कृपा से यमुना पार कर श्रीकृष्ण को गोकुल पहुंचाना संभव हुआ।
गोकुल में कृष्ण का बचपन
गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के यहां कृष्ण का पालन-पोषण हुआ।
वहां उन्होंने पूतना वध, कालिया नाग का दमन, और गोवर्धन पर्वत उठाना जैसे अनेक चमत्कार किए। इन बाल लीलाओं ने उन्हें "नटखट कन्हैया" के रूप में प्रसिद्ध किया।
कृष्ण जन्म का आध्यात्मिक महत्व
श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है।
उन्होंने गीता में कर्मयोग, भक्ति और ज्ञान का संदेश दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की स्थापना के लिए अधर्म का नाश आवश्यक है।
निष्कर्ष: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाएं?
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हमें सत्य, धर्म और भक्ति की राह पर चलने की प्रेरणा देती है।
यह पर्व केवल एक उत्सव नहीं बल्कि आत्मा की शुद्धि का माध्यम है। हर वर्ष इस दिन व्रत, कीर्तन और झांकी के माध्यम से हम श्रीकृष्ण को स्मरण करते हैं।
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